संविधान:बाबा साहेब-sanvidhan baba saheb

babasaheb

आज़ादी के ख़्वाबों से एक दवात बनाई गई,

शहीदों की शहादत की स्याही उसमे भरवाई गई,

बुलंद होंसलों की तलवार कलम बन गई,

इस तरह संविधान की नींव सजाई गई,

बस इतनी सी ही कहानी नहीं है,

उस युग के बलवान की,

श्री भीमराव कहलाए नहीं युहीं बाबा साहेब,

एक क़िताब से करोड़ों की क़िस्मत पलटाई गई। 

जय हिन्द। 

जय भारत। 

लेखक - रितेश गोयल 'बेसुध'

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