तू नहीं बहाने से तेरी याद आई थी,आंसुओं से लिपट कर तेरा फरमान लाई थी,मैं हो चुकी हुँ अब किसी और की रहबर,मुझे भूल जा मेरे आशिक, मेरे दिलबर। लेखक-रितेश गोयल 'बेसुध'
Post a Comment