अफसोस

दबा कर रखा जज्बातों को हमने,
अपने दिल के तहखाने में,
बोल ही न पाए उसको कभी,
आ जाती जब भी कभी वह अपने शामियाने में,
लो आ गई आज वह रात उसकी शादी हो गई,
तड़पते रह गए हम अपने आशियाने में,
खैर जो हो गया वो अच्छा था,
इस में हमारी ही गलती थी,
मुझसे तुम सबक लो,
किसी से प्यार हो तो तुरंत बोल दो,
वरना कुछ भी बाकी नहीं रहेगा,इस दिल के पैमाने में, अफसोस ही जाहिर करोगे महफिलों में,महखानों में।

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