पतियों के सपनों की गुँजती चीख: शादीशुदा की दास्तान - patiyon ke sapanon ki gunjati chiikh

patiyon ke sapanon kii gunjatii chiikh: shaadiishudaa kii daastaana

पतियों के सपनों की गुँजती चीख: शादीशुदा की दास्तान
मैं शादीशुदा के मन की टीस हुँ,
कुवारों के लिए सिख हुँ,
कट रहा है जिसका जीवन पत्नी के इशारों पर,
उन पतियों के टूटते सपने मेरी चलेगी की गुँजती चीख हुँ।
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'

No comments