ख्याल आते हैं दिल में,मगर कलम तक आते-आते गुजर जाते हैं,अभी परिस्थितियाँ नहीं हैं मेरे वश में,पैसे हाथों तक आते-आते खर्च जाते हैं। लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'
Post a Comment