शायरी-sadsayari

कत्ल होता था हथियारों से पहले जमाने में,

आज-कल तो लोगों की जुबान की धार ही काफी हैं,

दूसरों की परेशानी से कोई लेना-देना नहीं,

जख्म कुरेदने के लिए अपनों के सवाल ही काफी हैं,

क्यों सहते हैं सहने वाले इन अत्याचारों को,

जबकि जवाब में एक लात ही काफी हैं। 

लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'


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