x को पत्र

बहुत रोया था मैं तब,जब छोड़ कर गयी थी तु मुझको, 
मगर वो ही रोना किसी को भा गया, 
दोस्त कहते है साले तेरा दिल फिर से किसी पर आ गया,
तेरा वो दिया गुलाब अब भी किताब में रखा है, 
सोर्री याद ही नहीं रहा वो मुझको अब तो वो मुरझा गया, 
याद भी कैसे रहता वो सिंगल गुलाब,
जब ज़िंदगी में मेरे फ़िर से गुलदस्ता आ गया, 
मेरी छोड़ तुझे याद है वो पिंक ड्रेस, 
जो मैंने तुझे दिलाई थी,
और ब्रेकअप के टाइम तूने वापिस लौटाई थी, 
कब से अलमारी में पड़ी थी आज काम आ गयी, 
नई वाली को एकदम फिट आ गयी, 
जिस गाड़ी वाले के लिए तूने मुझे छोड़ा था, 
आज उसकी सच्चाई सुन कर मुझ को मजा आ गया, 
वो तो साला ड्राइवर निकला तुझ से ब्याह रचा गया 🤣, 
मैंने तो तुझे अपनी पलकों पर बैठाया था, 
तुझ पर अपना सब कुछ लुटाया था, 
मगर अब तो तेरी परिस्थिति बड़ी भारी हैं, 
सुना हैं तेरा ड्राइवर बड़ा अत्याचारी है, 
खैर मैं तो पहले से अब ठीक हो गया हूँ, 
रिजेक्टेड था पहले अब यूज हो गया हूँ, 
नई वाली तो मुझे ही अपना सब कुछ बताती हैं, 
एक टॉफी भी ला दुँ तो खुश हो जाती हैं, 
तेरे चक्कर में मेरा कितना खर्चा हो गया, 
पान,सिग्रेट्,गुटखा,दारू का मुझ पर कर्जा हो गया, 
तुझ से मेरे इश्क़ का पूरे शहर में चर्चा हो गया, 
जैसे इश्क़ ना कोई सरकारी पर्चा हो गया, 
वो तो भला हो उस लड़की का,
जिसने मुझे अपने प्यार से सजाया है, 
तेरे इश्क़ के नशे से मुझ को बचाया है, 
वो मेरी काजू और मैं उसका पिस्ता हो गया, 
कुल मिलाकर बात ये है, 
अब मैं कुँवारा नहीं रहा मेरा रिस्ता हो गया। 
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'


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