कातिल हसीना

दिल तोड़ना काम था उसका, 
लोग कहते हैं कातिल हसीना नाम था उसका, 
बस मैं ही उसके इस राज से अंजान था, 
बाकि तो हर शक्स उस पर पहले से कुर्बान था, 
दिल टूटने से पहले अंजाम पता होता, 
इज़हार से पहले काश उसका नाम पता होता, 
मैं भी जी रहा होता आज इंसानों की ज़िंदगी, 
यु बरेली के पागलखाने में मेरा नाम शुमार ना होता। 

इश्क़ में दगा के तूफानों से ख्वाब सारे डेह गए, 
दिल क्या टूटा हमारा ये दुनियावाले सारे हमे पागल कह गए। 

लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'

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