अधूरा ख्याल

अतीत के कुछ खंजर दिल में धँसे हुए हैं,
वर्तमान के सारे पन्ने फटे हुए हैं,
भविष्य को हो गई अंधकार की जेल हैं,
ज़िंदगी बन गई शतरंज का खेल हैं,
हर आशिक़ की यही अधूरी कहानी हैं, 
मोहब्बत करने वालों के हिस्से रुसवाई ही आनी हैं,
उन जाहिलों ने मार दिया मेरे अंदर के इंसान को,
अब तो बस मुझे मौत ही आनी हैं। 
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'




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