आज की राजनीती - एक हिंदी कविता
अक्सर मेरा दिल मुझसे पूछता है एक सवाल ,
ये राजनीति लगती है क्यों हमेशा ही एक बवाल ,
कितने नेता आते है और कितने नेता जाते है ,
देश की अर्थव्यवस्था को खोखली कर जाते है ,
अब तो चूहों ने भी जोड़े उनके आगे अपने हाथ ,
कुतरने में ये सब नेता लगते अब तो उनके बाप ,
चेहरे ही सिर्फ बदल रहे है व्यवस्था नहीं बदल पाती ,
ज्यों की त्यों ही बनी हुई है मनमोहन हो या मोदी ,
सब मिल कर खड़ी कर रहे है देश की उल्टी खाट ,
जी कर रहा है दू सबकी बम्प पे एक लात ,
आम आदमी जल रहा है बनकर दिये की बाती ,
हालत ये उसकी अब मुझसे बिल्कुल नहीं देखी जाती ,
सोच - सोच कर लिख रहा हूँ मिलेगी कब फिर से आज़ादी ,
चहकेगी कब फिर सोने की चिड़िया गीत ख़ुशी के गाती।
राजनेताओं के लिए देश एक रेल है ,
जिसके हर एक डिब्बे में चलते नए - नए खेल है।
By - R.G. 'Besudh'
ये राजनीति लगती है क्यों हमेशा ही एक बवाल ,
कितने नेता आते है और कितने नेता जाते है ,
देश की अर्थव्यवस्था को खोखली कर जाते है ,
अब तो चूहों ने भी जोड़े उनके आगे अपने हाथ ,
कुतरने में ये सब नेता लगते अब तो उनके बाप ,
चेहरे ही सिर्फ बदल रहे है व्यवस्था नहीं बदल पाती ,
ज्यों की त्यों ही बनी हुई है मनमोहन हो या मोदी ,
सब मिल कर खड़ी कर रहे है देश की उल्टी खाट ,
जी कर रहा है दू सबकी बम्प पे एक लात ,
आम आदमी जल रहा है बनकर दिये की बाती ,
हालत ये उसकी अब मुझसे बिल्कुल नहीं देखी जाती ,
सोच - सोच कर लिख रहा हूँ मिलेगी कब फिर से आज़ादी ,
चहकेगी कब फिर सोने की चिड़िया गीत ख़ुशी के गाती।
राजनेताओं के लिए देश एक रेल है ,
जिसके हर एक डिब्बे में चलते नए - नए खेल है।
By - R.G. 'Besudh'
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