मेरी प्रेरणा - एक हिन्दी कविता

बहुत समय के बाद मेरी शायरी को किसी ने जगाया है ,
ज़िन्दा होने का मेरे शायर को एहसास कराया है ,
निर्जन वनों में , अँधेरी गलियों में भटकता था शायद , 
अंधेरों को चीर अब वो रोशनी में आया है ,
इसलिए फिर से कलम को उठाया है ,
देखा तुझे तो देखता ही रह गया ,
आँखों में सिमट कर तेरा चेहरा रह गया ,
अब और कुछ भी आये ना नज़र ,
तेरे रूप का जादू मुझ पर ऐसा गहरा रह गया ,
बदलने लगी है ये सारी फिजाएं ,
मस्ती में है ये सारी हवाएँ ,
गुल खिल रहे है आँगन में मेरे ,
शायद मुझे कुछ होने लगा है ,
गम मेरे खुशियों में बदलने लगे है ,
ज़िन्दगी अब अच्छी लगने लगी है ,
महकने लगा है मेरे मन का कोना -कोना ,
शायद इसे ही कहते है लोगों मोहब्बत का दिल से होना -होना।

By - Ritesh Goel 'Besudh'

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