शादी का निमंत्रण

कल शाम को शादी का , एक निमंत्रण है आया ,
यह सुन कर तो एकदम प्रफुल्लित,हो गई मेरी काया ,
तरह-तरह के पकवानों की , दिखने लगी मुझे छाया ,
कई दिनों से पाव-भाजी , याद आ रही थी तेरी ,
कल तुझे मैं खाऊंगा , बिना किये कोई देरी ,
चौमीन डोसा टिक्की और चीले , आएगी तुम्हारी भी बारी ,
तुम भी मेरे ही मुख चढ़ोगे , बिना किये कोई देरी ,
इसके बाद दाल-मक्खनी में चावल को डूबा कर खाऊंगा ,
मिक्स वेज के साथ में नान भी चट कर जाऊँगा ,
तब जाकर के आएगी मीठे तुम्हारी बारी ,
रबड़ी-जलेबी आइसक्रीम कुल्फी , सबको तस्सली-भर खाऊंगा ,
फिर कहीं बैठ कर कुर्सी पे , आराम से सुस्ताऊँगा ,
मेरी इन बातों पर , हँस रहे होंगे भाई ,
पर शादी में बाराती का लेना-देना , सिर्फ खाने से ही है भाई।
By- Ritesh Goel 'Besudh'
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