अन्धविश्वास

एक बाबा आये मोह्हले में,
मेरे पिता को देख कर बोले,
मिलना भक्त अकेले में,
अपने शब्दों का उन्होंने मायाजाल बुना,
अपनी कोरी बातों से पुरा मोहहला धुना,
फिर आये वो घर हमारे मिलने अकेले में,
बोले भक्त तुम्हारे घर पर किसी ने जादु करवाया हैं,
एक स्ट्रांग भूत तुम्हारे घर छुड़वाया है,
जिसने तुमको डंसा है,
वह और कोई नहीं तुम्हारा सगा है,
तुम्हारी खुशियों को उसने ठगा है,
इससे बचने का अब एक ही उपाय शेष बचा है,
कब्रिस्तान में जाकर पूजा करवानी होगी,
आधी रात को उस भूत की बॉडी जलवानी होगी,
अगर तुम से नहीं होगा तो मैं कर दूँगा भाई,
इस काम के पुरे दो हज़ार लूँगा भाई,
उसकी बातों से घर में सब को आ गया पसीना,
बातों में फंसा कर दो हज़ार ले गया कमीना,
सब चाँद पर पहुँच गए हम अब भी वही जीते है,
लोग हम को तीसरी दुनिया यु ही नहीं कहते है,
जिस दिन हम अन्धविश्वास की डोर छोड़ देंगे,
डर से डरना छोड़ देंगे,
उस दिन सच में हम सब को पीछे छोड़ देंगे।
हे भगवन! ख़त्म कर दे हर उस दकियानूसी सोच को,
जो रोके आगे बढ़ने से विकास की डोर को।
जो रोके आगे बढ़ने से विकास की डोर को।
जय हिंद।
By-Ritesh Goel 'Besudh'
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