शायरी

बिना किसी भेदभाव के हर गोपी की मटकी से माखन खाएँगे,
मेरे माखन चोर कन्हैया सभी पर प्यार लुटाएँगे। 
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'

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