चंद्रयान-3
मज़ाक उड़ाने वालों ने चखा हार का जाम हैं,
चाँद का पूरा दक्षिणी ध्रुव तिरंगे के नाम हैं,
किस तरह से सारे देश कसते थे हम पर फब्बतियाँ,
चाँद को मामा कहने वालों मामा के घर कब जाओगे,
चल रही हैं देखो तुम्हारी गर्मी की छुट्टियाँ,
इसरो ने उन सब के मुहँ पर लगा दिया हैं ताला,
चाँद की सीमा पर भारतीय परिचम फहरा डाला,
भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत का सीना गर्व से बढ़ाया हैं,
हर एक भारतीय खुशी से फुला नहीं समाया हैं,
तीसरे चंद्रयान ने भारत की ख्याति को पुरे विश्व में फैलाया हैं,
हमारी असफलताओं ने ही हमें सफल बनाया हैं।
जय हिन्द।
जय भारत।
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'
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