शायरी

मेरे ख्वाबों को छल कर तूने अपनी डोली सजाई हैं, 
मेरे आँसुओ से होनी आज तेरी विदाई हैं, 
जा खुश रहना किसी गैर के साथ, 
मेरा क्या है मैं भी रह लूँगा,
तेरी याद और एक बोतल शराब के साथ। 
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'

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