दोस्तों के नाम.......-dosti

ये यु ही मस्ती में दोस्तों के नाम.......

वो अक्सर मुझे चाय की टपरी पर बुलाते हैं, 
सभी चीजें लेकर फ्री में मेरे खाते में लिखवाते हैं, 
शायद उनके पिता की एटीएम मशीन खराब हैं, 
इसलिए वो मुझे अब पापा कहकर बुलाते हैं। 

कॉलेज की सभी लड़कियों में मेरे नाम की चर्चा हैं, 
प्रेमिका यु ही नहीं बनती उसके पीछे मोटा खर्चा हैं, 
सभी दोस्तों की जल जाती हैं मेरे साथ देख कर लड़की, 
इसलिए भर दिया सभी ने बजरंग दल का पर्चा हैं। 

सुबह मसूरी जाते हैं शाम शिमला में बिताते हैं, 
होटल में ठहरते वक़्त बंदी को बहन बताते हैं, 

कहीं पर भी जाना हो सज-धज कर जाते हैं, 
जैकेट और बाइक का जुगाड़ लगाते हैं
लड़कियों के आगे शेखी बघाते हैं, 
हर दूजी लड़की को मेरी भाभी बताते हैं। 

चाहे कितने कमीने हो पर दोस्ती निभाते हैं, 
जरूरत पड़ने पर साले वहीं काम आते हैं। 

लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'

No comments