शायरी

नेता करते गुंडागर्दी यहांँ खुलेआम बाजार में,
किसको हम अपना समझे प्रशासनिक चुनाव में,
गधे की कीमत चालीस हजार,
पर आदमी बिक जाता यहांँ एक बोतल शराब में। लेखक-रितेश गोयल 'बेसुध' 

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