शिक्षा,दवाई और न्याय की कीमत चुकाते-चुकाते,सामान्य जनता कर्जदार हो गई,फ्री सुविधाओं के लालच में,बड़े से बड़े देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई। लेखक-रितेश गोयल 'बेसुध'
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