शायरी

आइने भी झूठ बोल देते हैं अक्सर,
अक्श झूठा नहीं होता,
कुछ तो बात है तुझ में जालिम,
कोई तुझसा नहीं होता।
 लेखक रितेश गोयल 'बेसुध'

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