राम भक्त :हनुमान
कितने ही रूप उनमें समाए,
जग को भक्ति सिखलाने को,
रूद्र के ग्यारहवें अंश है आए,
वेदों के ज्ञाता,भाग्य विधाता,
भक्ति मे खुद सुध खो जाएं,
भक्ति के कितने ही रूप निराले,भक्त-शिरोमणि ने दिखलाएं,
कभी मोतियन की माला चाबे,
कभी केसरी सिंदूर तन पे लगाएं,
राम-सिया के दर्शन सबको,अपना सीना फाड़ कराए,
राम की भक्ति में सबसे आगे,
राम काज सब पूर्ण कराएं,
आज फिर वह शुभ अवसर आए,
राम भक्त धरती पर आए,
मिलकर सारे खुशियां मनाएं,
अंजनी लाला की स्तुति गाएं।
लेखक-रितेश गोयल 'बेसुध'
Post a Comment