एक शायरी सभी पतियों की तरफ से पत्नियों के लिए अर्ज है-
आज भी मुझे देखकर वह अपनी जुल्फें सवार लेती है,
मेरे आने से पहले मेरे आने की आहट पहचान लेती है,
दफ्तर से घर आते ही मिलती है चाय की प्याली,
मेरे पीछे से मेरी पत्नी घर संभाल लेती है।
लेखक-रितेश गोयल 'बेसुध'
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