शादी: प्रेम बनाम व्यवस्था - Marriage: Love Vs Arrange
मेरे एक मित्र ने शादी का मन बनाया, यही सोचते-सोचते वो मेरे पास आया,
आकर मुझसे बोला वो मित्र तुम तो शादीशुदा हो, तुम ही मुझे समझाओ,
प्रेम विवाह और व्यवस्था विवाह का अंतर मुझे बतलाओ,
मैंने बोला मित्र शादी जी का जंझाल है, प्रेम करो या व्यवस्था दोनो में तुम्हारी हार है,
फिर भी तुम्हारी खुशी के लिए मैं तुम्हें समझाता हूं, दोनो का अंतर मैं तुम्हें बतलाता हूं,
प्रेम विवाह में तुम अपने जीवन साथी को अच्छे से पहचानते हो,
तुम्हारे साथ क्या-क्या होगा, ये भलि-भांती जानते हो,
व्यवस्था विवाह में साल भर बड़ा मजा आता है,
उसके बाद धीरे-धीरे दम घुटता जाता है,
कुल मिलाकर मित्र शादी पूर्णत: तुम्हारी हार है,
पत्नी के सामने झुकना एकमात्र परिहार है ।
धन्यवाद।
रितेश गोयल "बेसुध"
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