असली बाबा - एक हास्य कविता

आज हमारे मौहल्ले में एक बाबा ने डेरा जमाया है ,
कुछ लोगो का कहना है देखो असली बाबा आया है ,
लोगों की इस बात पर अब भी मुझे डॉउट है ,
असली बाबा के होने पर यक़ीन मेरा आउट है ,
इतने में एक साँस ने उस बाबा से आस लगाई ,
बाबा मेरी बहु ने बेटा वश में कर लिया भाई ,
काले जादू की वो लगती बड़ी खिलाड़ी है ,
उसकी मर्ज़ी के बिना चलती न मेरे घर की गाड़ी है ,
बाबा कोई ऐसा तंत्र उस पे दे मारो ,
 मेरी बिखरी उम्मीदों को तुम ही सँवारो ,
दक्षिणा से तुम्हारा मुँह भर दूँगी ,
जितना माँगोगे उतनी रक़म दूँगी ,
पर बाबा ने मुँह से कुछ ऐसा बोल डाला ,
मेरे सारे विचारों को पल में तोड़ डाला ,
बाबा बोले उस महिला से ये तुम्हारे मन का वहम है ,
तुम्हारे बहु और बेटा तुम पर उस ऊपर वाले का रहम है ,
इन पैसो को ना तुम यु बर्बाद करो ,संग मिलकर उनके घर आबाद करो ,
उस महिला को बाबा की बात जरा भी न भायी ,
कहने लगी बाबा तो नकली है भाई ,
शायद उसको चाहिए था बाबा कोई इल्म बताता जो उसको ,
इसके नाम के पैसे भी डेरो ले लेता जो उससे ,
शायद इसीलिए कबीर और रैदास ने इतनी किल्लते उठाई ,
झूठा दिलासा देना उनको नहीं आता था भाई ,
इसलिए आज झूठे बाबाओं से ही चल रहा संसार है ,
हर तरफ झूठ का ही देखो प्रसार है ,
आज के इस संसार में झूठे संतो ने अपनी जगह बनाई ,
इसलिए कहते है जैसी डिमांड वैसी सप्लाई।

जय हिन्द।

By- Ritesh Goel 'Besudh'

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