नया सवेरा - उम्मीदों का

 एक बार जब डर दिल से निकल जायेगा ,
जो है समां फिर बदल जायेगा ,
आँखों से बहते ख्वाबों को थमना ही पड़ेगा ,
मंजिल की तरफ अपनी बढ़ना ही पड़ेगा ,
आशाओं की किरणों से फिर उज्जवल होगा ज़िन्दगी का सवेरा ,
मंजिल के रास्तों से फ़िर हट जायेगा दिशाओ का वो पहरा ,
आखिर में तू अपनी मंज़िल तक पहुँच जायेगा ,
फिर जो है समां वो बदल जायेगा ,
एक बार जब डर दिल से निकल जायेगा ,
जो है समां फिर बदल जायेगा ,
उठकर फिर गिरेगा गिर कर फिर उठेगा ,
मंजिल की तरफ अपनी बढ़ता ही चलेगा ,
क़ामयाबी भी मिलेगी शोहरात भी मिलेगी ,
जो होगी मुमकिन वो हर ख़ुशी मिलेगी ,
आखिर जीवन ये तेरा संवर जायेगा ,
जो है समां फिर बदल जायेगा ,
 एक बार जब डर दिल से निकल जायेगा ,
जो है समां फिर बदल जायेगा ,
जग में चमकेगा सूरज बनके तू ,
देगा रोशनी दीपो को कितने तू ,
तुझसे ही होगा आशाओं का सवेरा ,
तुझसे से ही होगा उम्मीदों का बसेरा ,
आखिर तू जग को सिखा जायेगा ,
साहस है क्या दिखा जायेगा ,
 एक बार जब डर दिल से निकल जायेगा ,
जो है समां फिर बदल जायेगा।

By - Ritesh Goel 'Besudh'

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