शायरी

कत्ल करके उसूलों का मेरे, 
ग़रीबी मेरी रोई हैं, 
कब तक कंधे पर नेकी की अर्थी संभालु, 
चंद नोटों की खातिर इंसानियत मैंने खोई हैं। 
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'

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