शायरी

माना के हम दोनों नदी के दो किनारे हैं,
मगर उस नदी में दो पतवार हमारे हैं,
जिसके कारण रहते सदा हम उनके वो हमारे हैं।लेखक-रितेश गोयल 'बेसुध'

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