नेता

कैसे मैं विश्वास करूं नेता तुम्हारी बात का, 
हर तरफ से मुझे तु दोगला इंसान नजर आता हैं,
आगे से हिंदू और पीछे से मुसलमान नजर आता हैं,
गलियों में जब भी मैंने तुमको भाषण देते देखा,
बस यही सवाल मेरे मन में आता है,
सच का चेहरा ओढ़कर झूठ बाजारों में कैसे बिक जाता है,
तू बे पेंदी का लोटा है,वादों का भरोटा है,
चुनाव खत्म होते ही तू ने दिखा दिया,तु खोटा है,
चेहरे पर मुखोटा हिंदुस्तानी,पिछवाड़ा पाकिस्तान है,
अरे सांप के बच्चे,तू भी क्या इंसान है।
जय हिंद।
जय भारत।
लेखक -रितेश गोयल 'बेसुध'

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