शायरी- hindishayari

loveshayari

इज़हार भी नहीं करती वो मुझसे प्यार भी नहीं करती ,

हक़ जताती है मुझ पर पुरे का पूरा ,

मगर खुलेआम मुझ पर अधिकार भी नहीं करती ,

वो रूठ जाती है तो मुझे मनाना पड़ता है ,

पर फ़िर भी आशिक़ों के जैसा मुझ से व्यहवार नहीं करती। 

लेखक - रितेश गोयल 'बेसुध'


 

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