जितने भी हैं मनचले सिर्फ अपनी जीवनसाथी को रंग लगायेंगे,दूसरों की राधिका रंगने के चक्कर में ना पड़े फंस जायेंगे,सैकड़ों रंगे चेहरे फ़िर आप को सारे रंग दिखाएँगे,अपने ही शहर में आप बरसाने की लठ्ठमार होली का आनंद उठाएँगे। राधे-राधे। हैप्पी होली। लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'
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