पत्नी गई माईके भाग-2
पत्नी को माइके छोड़ कर मैं घर आया यार,
अपनी इस खुशी का मैं कैसे करू इज़हार,
मैं खुद को बेहद तृप्त महसूस कर रहा था,
बिस्तर पर दोनों तरफ से मैं ही उतर रहा था,
पहला दिन तो मैंने बड़े सुख पूर्वक बिताया,
बाहर से पिज़्ज़ा और बर्गर मंगवाया,
पूरी रात किया मैंने अपनी खुशी का इज़हार,
जो भी मुझे करना था वो सब किया यार,
अगली सुबह वो फ़िर से भारी हो गई,
दफ्तर जाने की हमारी फ़िर से तैयारी हो गई,
हमने सिर्फ मुश्किल से दो ब्रेड ही खाया था,
इतने में उसको पीछे खड़े पाया था,
जैसे वो कह रही हैं लो जी आपका टिफिन तैयार हैं,
मगर ये तो हमारा सिर्फ एक ख्याल था,
वो सिर्फ एक माया जाल था,
उसके यहाँ से जाने के बाद भी इस घर में उसका खौफ था,
कुछ भी गलत करने से पहले याद आ जाता उसका रौब था,
सच तो यह है पत्नी के मायके जाने पर दो दिन तो बड़ा अच्छा लगता हैं,
उसके बाद तो एक-एक पल बड़ी मुश्किल से कटता हैं,
शादी का यह बंधन ऐसा ही होता हैं एक के बिना दूसरे को अच्छा नहीं लगता हैं,
आखिर की चंद लाइनों को श्रीमती ने बदलवाया हैं,
कल शाम मैं उसे माईके छोड़ कर आया था,
आज सुबह उसका भाई वापिस ससुराल छोड़ने आया है।
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'
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