हक़ीक़त शायरी-Hakikat True Sayari

हक़ीक़त शायरी-True Sayari 

हक़ीक़त जब किसी की मैं मुँह पर बोल नहीं पाता,

कागज़ पर लिख कर दिल खोल लेता हूँ,

आते हैं कुछ शब्द होकर दिल के रस्ते से,
हक़ीक़त शायरी-Hakikat True Sayari

फ़िर कविता के तराज़ू पर उन्हें मैं तोल लेता हूँ,

लोग अब मुझे शायर कहने लगे है,

इसलिए शायरी बोल लेता हूँ। 

लेखक- रितेश गोयल बेसुध 

 

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