महज कागज के रिश्ते हैं आज सारे के सारे,कोई कागज़ों पर दस्तखत करके रिश्ता तोड़ देता है,तो तो चंद कागजों के लिए अपनों को तन्हा छोड़ देता है।लेखक-रितेश गोयल 'बेसुध'
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