इश्क़ की बीमारी-ishq ki bimari

इश्क़ की बीमारी

 #क़त्ल करके #चाहत का अपनी हम उनकी #शादी में जा रहे है,

#तोहफ़ा भी लिया है हमने हम उनके #शौहर से मिलके आ रहे है,

#आँखों में #ऑंसू छिपाए है हमने चेहरे से फिर भी मुस्कुरा रहे है,

सीने में #दर्द उठा इस कदर जैसे अपना सब कुछ लुटा के आ रहे है,

पहले तो सब ठीक था लेकिन जब से है देखा उनकी माँग का भरना,

आँखों से #आँसू बहते जा रहे है,

शौहर यूँ उनके बोले ये हमसे #खाना खाकर जाना यहाँ से,

हम भी पक्के #आशिक़ है देखो दो प्लेट #बिरयानी खाकर आ रहे है,

आख़िर में #दिल ने समझाया ये मुझको छोड़ो भी देखो ये दिल की बीमारी,

अगर हो गई है उनकी शादी #महफ़िल में बहुत है #कन्या कुँवारी,

नजर अपनी दौड़ाई हमने हमको मिल गई एक बेचारी,

नंबर दे गई कहकर ये हमसे #दुल्हन तो देखो #भाभी है हमारी,

अब  हम उनके #जीजा बनेंगे शौहर उनके हमारे पाँव पड़ेंगे,

खैर कर ली अब हमने चलने की तैयारी एक गई तो दूसरी से सेटिंग हो गई हमारी,

इसी तरह चलती रहे ये #इश्क़ की बीमारी,

एक की जगह दूसरी युहीं मिलती रहे #सवारी। 

#लेखक - रितेश गोयल 'बेसुध'

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