कलयुग की सावित्री - एक हास्य कविता

सावित्री ने उनको पीछे से दी आवाज़ ,
मेरे पति के प्राण आप नहीं ले जा सकते ,
क्योंकि महिला हेल्पलाइन वाले है कभी भी आ सकते ,
किस जुर्म में आपने मेरे पति का प्राण निकाला है,
इस बात का आप पर मैंने कोर्ट में केस डाला है ,
अब तो आप को कोर्ट में चक्कर लगाने होंगे ,
वकीलों को केस के पैसे चुकाने होंगे ,
मेरे पति के प्राण आप तभी ले जा पायेंगे ,
कोर्ट में जब उनका जुर्म साबित कर पाएंगे ,
देखो मिस्टर यमराज ये नहीं है अब आसान ,
मेरे पति के प्राण अब नहीं जायेंगे यमधाम ,
मैंने अपने वकील को खूब पैसा खिलाया है,
उसने केस जितने का पूर्ण विश्वास दिलाया है ,
यमराजजी जोड़कर अपने दोनों हाथ बोले मिसेज सत्यवान से ,
केस को वापिस ले लो बहन देखो आज के आज ,
तुम्हारे पति के प्राण मैं नहीं लेकर जाऊँगा ,
बल्कि अब मैं उसे कभी लेने ही नहीं आऊंगा ,
कलयुग में भी भारी पड़ी सावित्री यमराज पर ,
खाली हाथ ही भाग गए यम अपने महिषराज पर।
By - Ritesh Goel 'Besudh'
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