शायरी-loveshayari

कुछ लब्ज़ मेरे भी शामिल हो इस इश्क़ की कहानी में, 
लोग शिद्दत से दोहराए तेरे-मेरे किस्से इस मोहब्बत की रवानी में, 
मैं तेरे और तु मेरे बिना अधूरे ही रहे, 
एक-दूजे का हाथ थामकर क्यों ना पूरक हो जाए, 
चमकेंगे फिर सूरज बनकर इन आशिक़ों की जिंदगानी में। 
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'

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