ज़न्नत की हूरों की ख़ातिर क्यों जन्नत को बर्बाद किया, पहलगाम की खुबसूरत वादी को क्यों तुमने शमशान किया , नए जीवन की सपने संजोकर कोई यहाँ पर आ...Read More
ज़मीन बेच क बाबु की,नई फार्च्यूनर कढ़वाई है, छोड़ क अपनी जमींदारी,या बिदेशी पूंछ बँधवाई है, माँ के हाथ की नुनी रोटी इब भावती कोनी, जबत शहरी मै...Read More